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अब भी अंधेरे में बस्तर का ये इलाका,मरीज को कांवड़ पर ले गए 15 किमी…

बीजापुर में एक बीमार ग्रामीण को 15 किलोमीटर कांवड़ में उठाकर ले जाना पड़ा. यह वीडियो बीजापुर की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रहा है।

बस्तर // बीजापुर जिले के कुढ़मेर गांव से एक दर्दनाक तस्वीर सामने आई है. यहां के ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में भारी तकलीफ झेल रहे हैं. सड़क और एंबुलेंस की सुविधा न होने के कारण एक बीमार ग्रामीण को कांवड़ में ढोकर लगभग 15 किलोमीटर पैदल नेलसनार अस्पताल ले जाया गया. पक्की सड़क और पुलों के अभाव में ग्रामीणों ने कांवड़ को ही एंबुलेंस बना लिया है।

जब सरकार गांव-गांव स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का दावा करती है, तो बस्तर के ये इलाके अब भी अंधेरे में क्यों हैं? यह तस्वीर 5 तारीख की है और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि बस्तर के सुदूर इलाकों में प्रशासन के विकास के तमाम दावे आखिर कितने सही हैं, क्योंकि इस तरह की तस्वीरें उन दावों को खोखला साबित करती हैं. ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा मिलनी चाहिए, लेकिन आज भी मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने के लिए 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है।

यह केवल कुढ़मेर की कहानी नहीं है. बीजापुर में कई ऐसे गांव हैं जहां पक्की सड़कें नहीं हैं. विकास के दावे समय-समय पर ग्रामीणों की परीक्षा लेते रहते हैं. यह पहली घटना नहीं है, इस तरह की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं. कुछ दिन पहले स्वास्थ्य विभाग की टीम जान जोखिम में डालकर उफनते नाले को छोटी सी नाव के सहारे पार करके माओग्रस्त गोरगुंडा गांव पहुंची थी।

मरीज के परिजन लालूराम मांडवी ने बताया कि मरीज उनके चाचा हैं और उन्हें अस्पताल ले जा रहे थे. मेन रोड तक लगभग 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।

बस्तर में विकास के नाम पर अरबों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. यहां सड़कें नहीं हैं, जिसके कारण गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती. बरसात में हालात और बिगड़ जाते हैं. कीचड़ भरी राह, टूटी पुलिया और बीच जंगल से होकर लोगों को गुजरना पड़ता है. ऐसे में सुदूर इलाकों के मरीजों और गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य खराब होने पर भी अस्पताल पहुंचने के लिए कांवड़ का सहारा लेना पड़ता है।

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