विश्व के प्रथम आदिवासी शक्तिपीठ में 15 वाँ स्थापना दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया…

कोरबा छत्तीसगढ़ – विश्व के प्रथम आदिवासी शक्तिपीठ में 15 हवाँ स्थापना दिवस बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया उपरोक्त अवसर पर दीवाल परिसर को रंग बिरंगी झालरों के साथ सजाया गया था

उपरोक्त अवसर पर 750 दिए जलाए गए एवं सुबह 10:00 बजे से देवालय परिसर में स्थापित सभी पुरखा शक्तियों सहित देवों में देव आदि देव बूढ़ादेव, बूढ़ी माई, सरना देव, ठाकुर देव, परिहार देव, ठाकुर देव, दूल्हा देव, पनमेश्वरी दाई, शीतला दाई, अंगार मोती दाई, एवम चारों पाठों में विराजमान मुठवा शक्तियों का शक्तिपीठ के बैगाल शक्तियों ( मुख्यपूजारी) श्री रामचरण गोंड, श्री बहुर सिंह ध्रव ,श्री मांझी लिंगो,जी के द्वारा पूरे रुढिजन्य परम्परागत आधारित विधिविधान से सेवा पूजा किया गया । जो कि लगातार सन्ध्या सायं तक चलता रहा आम दर्शनार्थियों की लगातार भारी भीड़ उमड़ी रही।
दोपहर 3:00 बजे से मंचीय कार्यक्रम प्रारंभ हुई जिसमें पूरे जिले से आए हुए समाज प्रमुखों ने अपना उद्बोधन दिया जिसमें श्री परमेश्वर सिंह जगत जी ने भी अपने बहुमूल्य विचार रखें,, उक्त अवसर पर श्री रघुवीर सिंह मार्को जी के द्वारा अपने उद्बोधन में आदिवासियों के पूजा रीति पद्धति सहित महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है एवं आदिवासी समाज में मनाया जाने वाले तीज त्यौहार पर्वों पर उसकी प्रामाणिकता को सिद्ध करते हुए अपनी बात रखी और उन्होंने अपने उद्बोधन में यह भी साबित किया की आदिवासी संस्कृति ही विश्व संस्कृति की जननी है शक्तिपीठ के संरक्षक मोहन सिंह प्रधान ने अपने उद्बोधन में शक्तिपीठ के इन 15 वर्षों में किए गए कार्यों सहित समाज के हित में लिए गए बड़े-बड़े निर्णय सहित शक्तिपीठ निर्माण कार्य के साथ-साथ शिक्षा चिकित्सा स्वास्थ्य रोजगार एवं समाज में वैचारिक क्रांति एवं समग्र आदिवासी समाज में एक करने की आवाहन करते हुए भविष्य के योजनाओं पर प्रकाश डाला और उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा समाज में बहुत मुश्किल से समाज को जोड़ने वाले मूर्धन्य लोग मिलते हैं इसलिए चाहे वह आध्यात्मिक रूप से हो चाहे वह राजनीतिक रूप से हो चाहे वह वैचारिक रूप से हो चाहे वह स्वार्थ परक सामाजिक बंधु हो ऐसे लोगों से समाज को सावधान होना पड़ेगा जो कभी भी किसी भी रूप में आपके आसपास ही रहकर इस तरह का षडयंत्र पूर्वक समाज को तोड़ने का काम करते हैं। शक्तिपीठ में हर संभव प्रयास की है की सुनने से शिखर तक के सामाजिक बंधु शक्तिपीठ से जुड़कर शक्तिपीठ को विश्व पटल पर एक बड़ा मुकाम हासिल करने में सहयोग करें।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री श्रम रोजगार एवं वाणिज्य श्री लखन देवांगन जी के अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि के रूप में श्री नरेंद्र देवांगन उपस्थित रहे एवं उनके उपस्थिति में आदिवासी समाज से नवनिर्वाचित पार्षदों का भी अभिनंदन एवं सम्मान किया गया
उपरोक्त अवसर पर अतिथि की आसंदी से श्री नरेंद्र देवांगन ने कहा की आदिवासी शक्तिपीठ अपनी रूढ़िजन्य परंपराओं को जीवित रखने एवं समाज को एक करते हुए शिक्षा स्वास्थ्य नशा उन्मूलन एवं रोजगार सहित कई कार्यक्रम जो शक्तिपीठ के माध्यम से चला रहे हैं वास्तव में अद्भुत है उन्होंने कहा शक्तिपीठ आदिवासी समाज की रीति नीति परंपराओं को अपने पारंपरिक सांस्कृतिक सहित खेलकूद और हम बात यह की आज के तारीख में यह शक्तिपीठ यह एक धार्मिक एवं परंपराओं को विकसित कर सहेजने की अग्रिम संस्था बन गई है उन्होंने पदाधिकारी को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने अपने समय का त्याग कर इस धार्मिक स्थल को विश्व स्तरीय बनाने का सपना देखा है उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा शक्तिपीठ के प्रगति में कोई भी चीज बड़ा नहीं आएगी लगातार हम शक्तिपीठ के साथियों के साथ मिलकर शक्तिपीठ के विकास की गाथा को एक नई ऊंचाई तक ले जाएंगे।
इस अवसर पर भारी संख्या में मातृशक्ति पितृ शक्ति युवा शक्ति एवं सभी प्रकोष्ठों के सदस्य सहित सामाजिक प्रमुख गण एवं नागरिक बंधु उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के संचालन शक्तिपीठ के उपाध्यक्ष श्री निर्मल सिंह राज जी ने किया।
एवं अंत में आभार शक्तिपीठ के अध्यक्ष श्री शिवनारायण सिंह कंवर जी ने किया।
उपरोक्त और अवसर पर शक्तिपीठ के सम्माननीय संगठन प्रमुख मोहन सिंह प्रधान
संरक्षक आदिवासी शक्तिपीठ, श्री रमेश सिरका महासचिव श्री एमपी सिंह तंवर सांस्कृतिक प्रमुख श्री रूपेंद्र सिंह पैंकरा , श्री साहब लाल बिंझवार श्री बीएम धुर्वे श्री बलराम सिंह श्री गेंदलाल सिदार श्री रामायण सिंह कंवर महिला प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्रीमती कृष्णा राजेश श्रीमती रमाराज श्रीमती माधुरी ध्रुव सहित भारी संख्या में पदाधिकारी गण मौजूद रहे।